बुधवार, 24 जुलाई 2024

मैग्नीशियम के कार्य

मैग्नीशियम के कार्य

1. क्रोमोसोम, पोलीराइबोसोम तथा क्लोरोफिल का अनिवार्य अंग है।
2. पौधों के अन्दर कार्बोहाइड्रेट संचालन में  सहायक है।
3. पौधों में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा के निर्माण मे सहायक है।
4. चारे की फसलों के लिए महत्वपूर्ण है।

मैग्नीशियम-कमी के लक्षण
1. पत्तियाँ आकार में छोटी तथा ऊपर की ओर मुड़ी हुई दिखाई पड़ती हैं।
2. दलहनी फसलों में पत्तियो की मुख्य नसों के बीच की जगह का पीला पड़ना।

पोटैशियम-कमी के लक्षण

पोटैशियम-कमी के लक्षण
1. पत्तियाँ भूरी व धब्बेदार हो जाती हैं तथा समय से पहले गिर जाती हैं।
2. पत्तियों के किनारे व सिरे झुलसे दिखाई पड़ते हैं।
3. इसी कमी से मक्का के भुट्टे छोटे, नुकीले तथा किनारोंपर दाने कम पड़ते हैं। आलू में कन्द छोटे तथा जड़ों का  विकास कम हो जाता है
4. पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया कम तथा श्वसन की क्रिया अधिक होती है।

गन्धक (सल्फर) के कार्य

गन्धक (सल्फर) के कार्य

1. यह अमीनो अम्ल, प्रोटीन (सिसटीन व मैथिओनिन), वसा, तेल एव विटामिन्स के निर्माण में सहायक है।
2. विटामिन्स (थाइमीन व बायोटिन), ग्लूटेथियान एवं एन्जाइम 3ए22 के निर्माण में भी सहायक है। तिलहनी फसलों  में तेल की प्रतिशत मात्रा बढ़ाता है।
3. यह सरसों, प्याज व लहसुन की फसल के लिये आवश्यक है। तम्बाकू की पैदावार 15-30प्रतिशत तक बढ़ती है।

गन्धक-कमी के लक्षण
1. नई पत्तियों का पीला पड़ना व बाद में सफेद होना तने छोटे एवं पीले पड़ना।
2. मक्का, कपास, तोरिया, टमाटर व रिजका में तनों का लाल हो जाना।
3. ब्रेसिका जाति (सरसों) की पत्तियों का प्यालेनुमा हो जाना।

रविवार, 21 जुलाई 2024

सल्फर पोषक तत्व का परिचय

सल्फर पोषक तत्व का परिचय

सल्फर (S) एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो पौधों की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक द्वितीयक मैक्रोन्यूट्रिएंट, सल्फर पौधों में विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए अपरिहार्य है। आइए पौधों के पोषण में सल्फर के महत्व और यह कैसे मजबूत फसल वृद्धि में योगदान देता है, इस पर चर्चा करें:

1️⃣ पौधों में सल्फर की भूमिका

सल्फर अमीनो एसिड, प्रोटीन और एंजाइम का एक प्रमुख घटक है, जो पौधों के चयापचय और विकास के लिए आवश्यक हैं। यह क्लोरोफिल संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, प्रकाश संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन में सहायता करता है। सल्फर अन्य पोषक तत्वों, विशेष रूप से नाइट्रोजन की दक्षता को भी बढ़ाता है, जो समग्र पौधे के स्वास्थ्य और उत्पादकता में योगदान देता है।

2️⃣ मिट्टी में सल्फर पोषक तत्व की उपलब्धता

मिट्टी में सल्फर की उपलब्धता मिट्टी के पीएच, कार्बनिक पदार्थ की मात्रा और माइक्रोबियल गतिविधि जैसे कारकों पर निर्भर करती है। कम पीएच या अत्यधिक अम्लीय मिट्टी में, सल्फर की उपलब्धता सीमित हो सकती है।  कार्बनिक पदार्थ के अपघटन और सूक्ष्मजीवी गतिविधि से सल्फर ऐसे रूप में निकलता है जिसे पौधे ग्रहण कर सकते हैं, जिससे सल्फर की उपलब्धता के लिए ये कारक महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

3️⃣ सल्फर की उपलब्धता को अनुकूलित करने में मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ की भूमिका

मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ सल्फर के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के दौरान इसे धीरे-धीरे छोड़ते हैं। इससे पौधों को सल्फर की निरंतर आपूर्ति बनाए रखने में मदद मिलती है। फसल चक्रण, कवर क्रॉपिंग और कम्पोस्ट या खाद जैसे जैविक संशोधनों को शामिल करने जैसी प्रथाओं से मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ में वृद्धि हो सकती है, जिससे सल्फर की उपलब्धता और समग्र मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है।

4️⃣ सल्फर की कमी के लक्षण

पौधों में सल्फर की कमी से युवा पत्तियों का पीलापन (क्लोरोसिस) हो सकता है, जबकि नाइट्रोजन की कमी से पुरानी पत्तियां पहले प्रभावित होती हैं। विकास में रुकावट, परिपक्वता में देरी और कम उपज सल्फर की कमी के सामान्य लक्षण हैं। महत्वपूर्ण उपज हानि को रोकने और स्वस्थ फसल विकास सुनिश्चित करने के लिए समय पर पहचान और सुधार महत्वपूर्ण हैं।

 5️⃣ मिट्टी में सल्फर की खाद डालना

सल्फर की कमी को दूर करने के लिए, किसान और कृषिविज्ञानी अमोनियम सल्फेट, जिप्सम (कैल्शियम सल्फेट) या एलिमेंटल सल्फर जैसे सल्फर युक्त उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। उचित अनुप्रयोग दर निर्धारित करने और संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी परीक्षण आवश्यक हैं। मिट्टी परीक्षण के परिणामों के आधार पर इन उर्वरकों को शामिल करने से सल्फर का स्तर बढ़ सकता है और पौधों की इष्टतम वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है।

निष्कर्ष में, पौधों के पोषण में सल्फर की भूमिका को समझना और मिट्टी में इसकी उपलब्धता का प्रबंधन करना स्वस्थ और उत्पादक फसल प्राप्त करने की कुंजी है। नियमित मिट्टी परीक्षण, उचित मिट्टी प्रबंधन और लक्षित उर्वरक किसानों और कृषिविदों को उच्च पैदावार और टिकाऊ कृषि के लिए सल्फर की पूरी क्षमता को अनलॉक करने में मदद कर सकते हैं। सल्फर पोषक तत्व उपयोग और मिट्टी परीक्षण को अनुकूलित करने पर व्यक्तिगत मार्गदर्शन के लिए, Khetimitra Apps पर हमारे विशेषज्ञों से बेझिझक संपर्क करें।

कम से अधिक उगाएँ

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गुरुवार, 18 जुलाई 2024

धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण

*धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण* 

खरीफ सीजन की सबसे मुख्य फसल धान है | देश में अधिकांश किसान अपने खेतों में धान की फसल या तो लगा चुके हैं या अभी लगा रहे हैं | धान की फसल में खरपतवार एक बहुत बड़ी समस्या है यदि समय पर इसका नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। खरपतवार पैदावार में कमी के साथ धान में लगने वाले रोग के कारकों एवं कीटों को भी आश्रय देते हैं। धान की फसल में खरपतवार के कारण 15-85 प्रतिशत तक नुकसान होता है, कभी-कभी यह नुकसान 100 प्रतिशत तक पहुच जाता है, इसलिए सही समय पर खरपतवार नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है।

 *बुआई के 3 से 10 दिनों के अंदर इस तरह करें खरपतवार नियंत्रण* 

 1) *पायरेजोसल्फ़ुएरोन 10%* या *पायरेजोसल्फ़ुएरोन70%* का उपयोग करें।

2) *प्रेटिलाक्लोर + पायरेजोसल्फ़ुएरोन 800ग्राम*  प्रति एकड़ जो बाजार में इरोस गोल्ड के नाम से मिलता है उसको रेत के साथ मिलाकर छिड़काव करें।

3) *प्रेटिलाक्लोर 50%(rifit)* को भी 400 से 500 ml रेत में मिलाकर आप छिड़काव कर सकते है 

4) *पेनोक्सुलम + बुटाक्लोर* का 800 ml प्रति एकड़ रेत में मिलाकर उपयोग करें।

बुआई के 20-25 दिनों के बाद इस तरह करें खपतवार नियंत्रण

1) *बिसपायरिबैक सोडियम 10%* दवा का छिडकाव 100-150 एम.एल प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए। इसके छिड़काव से सावा,मोथा,जंगली घास वा अन्य संकरी व चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार का नियंत्रण होता है

2) नर्जा व चुहका के लिए *मेथसल्फ़ुरॉन मिथाइल 10% + क्लोरीम्यूरॉन एथिल 10% WP(ऑलमिक्स )* का 20 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

3) कोदीला के नियंत्रण के लिए *फेनोक्साप्रॉप-पी-एथिल 6.7%* का 200 से 250 ml प्रति एकड़ उपयोग करें

4)चौड़ी पत्ती के खरपतवार के लिए आप *2 4D 58%* का 200 ml प्रति एकड़ व *2 4D 95%*  500 ग्राम का उपयोग आप रेत के साथ करें।

 नोट - धान के खेत में पर्याप्त नमी न होने पर ही आप खरपतवारनाशी का छिड़काव न करें ।
नमी न होने पर धान में पीलापन या वह खराब भी हो सकता है।

अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें
गुरुदेव कृषि केंद्र
पोस्ट ऑफिस रोड डोंगरगांव
9993621356
9131990936