धान फसल में लाल कीड़ा (ब्लडवॉर्म)
धान की फसल में लाल कीड़े लगने से भारी नुकसान हो सकता है. ये कीड़े मिट्टी में रहते हैं और पौधों की जड़ों को काटकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. इससे पौधों का विकास बाधित होता है और कुछ समय बाद वे सूख बीवीने लगते हैं. इन कीड़ों को बोलचाल की भाषा में झुलसा रोग भी कहा जाता है.
इन कीड़ों से बचने के लिए, आप ये तरीके अपना सकते हैं:
क्लोरोफ़ाइज़िफ़ास या प्लथसाइपरमेथ्रिन की 250 एमएल दवा को चार तसला रेत में मिलाकर छिड़काव करें. रेत जमीन में पहुंचने पर कीड़े मर जाएंगे.
नर्सरी और रोपाई के समय ही खेत में ज़िक और अन्य पोषक तत्व डालें. इसके लिए मिट्टी की जांच कराकर पता करें कि आपके खेत में किस पोषक तत्व की कमी है. 5 फ़ीसदी ज़िक, 5 फ़ीसदी सल्फ़ेट, और 100 लीटर पानी में चुने का पानी मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.
धान में बालियां आने पर खेत में नमी बनाए रखें. हालांकि, ज़्यादा तापमान और नमी की वजह से कीट और रोग भी बढ़ सकते हैं. इनसे बचने के लिए, लाइट ट्रैप, बर्ड पर्चर, फ़ेरोमोन ट्रैप, ट्राइकोग्राम, और ट्राइकोडरमा का इस्तेमाल करें.