चने की खेती
बुवाई तकनीक
जमीन की तैयारी
1. चने के लिये अच्छे जलनिकास वाली मिट्टी उपयुक्त है. खेत की तैयारी के लिये 1 बार गहरी जुताई करे तथा बाद मे 1 या 2 बार हैरो चलाये. इसके बाद पाटा लगा कर खेत समतल करे.
किस्में/प्रजातियां
1 पूरे प्रदेश मे बुवाई के लिए चने की उन्नत किस्मे- देशी चने की -JG-315, JG-63, JG-16 या JG-218. काबुली चने की काक-2 या JGK-1 तथा गुलाबी चने की- जवाहर चना-5 या जवाहर गुलाबी चना 1 बोनी कर सकते है.
2. देर से बोनी हेतु (15 दिस. तक) व दाल मिल के लिए उपयुक्त, जल्दी पकने वाली (95-110 दिन) किस्म जे. जी-14 का चुनाव कर सकते है.
3.सिंचित दशा मे 25 नवंबर तक बुवाई कर सकते है.देर से बुवाई हेतू उचित किस्म जे.जी.-14 किस्म का चयन करे.
बीजोपचार
1. बीज को पहले रसायनिक फफूंद नाशक से उपचार के बाद जैविक कल्चर से छाया मे उपचारित कर तुरंत बोनी करे, जिससे जैविक बैक्टेरिया जीवित रह सके.
2. फसल को उकठा रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई के पूर्व फफूंदनाशक वीटावैक्स पावर, कैपटान, साफ, सिक्सर, थिरम, प्रोवेक्स मे से कोई एक 3 ग्राम दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करे. इसके पश्चात एक किलो बीज मे राइजोबियम कल्चर तथा ट्राइकोडरमा विरडी की 5-5 ग्राम मिला कर उपचारित करे.
3.बीज की अधिक मात्रा को उपचारित करने के लिए, सीड ड्रेसिंग ड्रम का उपयोग करे जिससे बीज एक समान उपचारित हो सके.
बुवाई तथा बुवाई विधि
समान्य दशा मे चने की बूवाई का समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक होता है. कतार से कतार की दूरी 30 cm व पौधे से पौधे की दूरी 10 cm रखे तथा बीज की गहराई 5-8 cm रखे.
बीज दर
प्रति एकड़ बोनी हेतू बीज दर: मध्यम आकर के दाने की किस्म के लिए 30-32 किलो एवं बड़े दाने की किस्म के लिए 36-40 किलो बीज का उपयोग करें
खरपतवार प्रबंधन
1. खरपतवार के रासायनिक नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरंत बाद और फसल उगने से पहले खरपतवारनाशी पेंडीमेथालीन जैसे की पेन्डालीन, स्टोम्प का 7 मिली प्रति लीटर पानी की दर से स्प्रे करे।
2. खडी फसल मे खरपतवार नियन्त्रण के लिये (30-35दिन बाद) निराई गुड़ाई कर के खरपतवार निकाले।
शस्य क्रिया
1. पौधे की संख्या को अनुकूल करने के लिए छटाई करनी चाहिए जिससे सही विकास के लिए जगह मिलें। छटाई अंकुरण के एक सप्ताह के अन्दर कर लें।
2. तीस दिन के बाद पौधे का ऊपरी सिरा काट देना चाहिए जिससे ज्यादा शाखायें निकले और अधिक फूल आए।
फसल पोषण
देशी खाद व बायो फर्टिलाइजर
1. बुवाई पूर्व खेत तैयारी के समय 5-6 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से मिट्टी मे मिलाये।
रासायनिक खाद
2. बुवाई के समय 40 किलो डी.ए.पी. तथा 14 किलो म्यूरेट आफ पोटाश अथवा 75 किलो 12-32-16 (NPK) प्रति एकड़ की दर से मिट्टी मे मिलाए.
3. बुवाई के समय फसल मे 75 किलो फास्फो जिप्सम प्रति एकड का प्रयोग करे इसमे 17% सल्फर, 21% कैल्शियम, 0.7% फासफ़ोरस तथा अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते है |
4 पहली निंदाई- गुडाई के समय 25 किलो फास्फो जिप्सम प्रति एकड की दर से दे.
घुलनशील उर्वरको का स्प्रे
1. फसल की अच्छी वॄधि के लिए बुवाई के 15-20 दिन बाद तथा पीलापन दिखने पर पानी मे घुलनशील उर्वरक 19-19-19 (NPK) 5 ग्राम / ली पानी मे छिड़के.
2. फूल व फली के अच्छे विकास व गुणवत्ता सुधार के लिए फूल निकलने से पहले पानी मे घुलनशील उर्वरक एन.पी.के. 19-19-19 @ 5 gm / ली पानी तथा फली-दाने वॄधि के समय एन.पी.के 0-52-34 को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी मे मिलाकर छिड़के.
पोषक तत्वो की कमी व उपचार
1. चने मे ज़िंक की कमी के लक्षण बुवाई के 50-60 दिन बाद दिखते है, इससे मुख्य तने की पत्तियाँ पीली पड़कर झड़ने लगती है.
2. ज़िंक की कमी के लक्षण दिखने पर ज़िंक EDTA (चिलेटेड, Zn 12% EDTA) 100 g / एकड़ 200 ली पानी मे छिड़के.
सिंचाई
सिंचाई अनुतालिका
1. चने मे सामान्यतः एक या दो सिंचाई की ही जरूरत पड़ती है, अधिक सिंचाई से पौधों की वृधि अधिक व उत्पादन कम हो सकता है. कीट व बीमारियों की संभावना बड जाती है.
2. एक सिंचाई उपलब्ध होने पर फूल आने के पहले या बुवाई के लगभग 40-45 दिन बाद सिंचाई करें. यह सिंचाई की मुख्य क्रांतिक अवस्था है.
3. हल्की मिट्टी मे 2 सिंचाई उपलब्ध होने पर पहली सिचांई बुवाई के 40-45 दिन बाद तथा दूसरी 60-65 दिन बाद करे, यह सिंचाई की मुख्य क्रांतिक अवस्था है.
क्रांतिक अवस्था
1. फूल आने के पहले या बुवाई के लगभग 40-45 दिन बाद.
2. हल्की मिट्टी मे बुवाई के 40-45 दिन बाद तथा दूसरी 60-65 दिन बाद .
कीट नियंत्रण
माहू व चेपा
माहू व चेपा पौधे का रस चूस कर कमजोर करते है नियन्त्रण के लिये 5 ग्राम थायोमेथाक्जम 25 डबल्यूजी जैसे एकतारा, अनंत या 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्लू जी. एडमायर या एडफायर प्रति 15 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करे।
सेमी लूपर (हरी इल्ली), तंबाकू इल्ली, फली छेदक
1. इल्ली के नियंत्रण हेतु पक्षियों के बैठने के लिए समान अंतर पर फसल की लम्बाई से उँची 20-25 "T" आकर की खूंटिया प्रति एकड़ खेत में गाड़ दे.
2. फसल मे फली छेदक इल्ली का निरीक्षण करते रहे. प्रारंभिक अवस्था मे 50 मिली प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% प्रति 15 लीटर पानी मे छिड़के अथवा इंडोक्साकार्ब 14.5% SC जैसे अवांट, फीगो, दक्ष, या धावा का 200 ml प्रति एकड़ 200 लीटर पानी मे एक समान रूप से छिड़काव करे.
3. सभी प्रकार की इल्लियों के प्रभावी नियंत्रण हेतु 7 ग्राम इमामेक्टिन बेन्जोएट 5%SG (प्रोक्लेम या ई.एम.-1) या 6 मिली क्लोरोन्ट्रेनिलीप्रोल 18.5%SC (कोराजन) या 5 मिली फ्लूबेन्डीयामाइड 39.9SC (फेम) या 10 ग्राम फ्लूबेन्डीयामाइड 20 WG प्रति 15 लीटर पानी मे छिड़के।
रोग नियंत्रण
पौधो का पीलापन व मुरझान
पीलापन तथा मुरझान की समस्या के नियंत्रण के लिये 45 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या 30 ग्राम कार्बेन्डेजीम प्रति 15 लीटर पानी मे मिलाकर जमीन मे दे अथवा 100 ग्राम थायोफैनेट मिथाइल 70% WP (रोको या टरबाईन) तथा 1 किलो पानी मे घुलनशील 19-19-19 प्रति एकड़ 200 ली. पानी मे छिड़के
अल्टरनेरिया झुलसा रोग
1 .फूल व फली बनते समय आल्टरनेरिया झुलसा रोग आ सकता है, इससे पत्तीयो पर छोटे, गोल-बैंगनी धब्बे बनते है, नमी अधिक होने पर पूरी पत्ती पर फैल जाता है. नियंत्रण-3 ग्राम मँकॉज़ेब 75%WP या 2 ग्राम मेटालैक्सिल 8% + मेन्कोज़ेब 64% (संचार या रिडोमिल) प्रति लीटर पानी मे छिड़के.
अन्य समस्याएँ
सूत्रककृमि
1. सूत्रकृमि के प्रकोप से पौधा अविकसित रह जाता है. जडे छोटी रह जाती है जिससे उत्पादन प्रभावित होता है.
2. नियंत्रण के लिये गर्मियो मे गहरी जुताई करे, प्रतिरोधी किस्म का चयन करें. गैर दलहनी फसलो को जैसे मक्का, धान या मूंगफली को फसल चक्र मे शामिल करे. रसायनिक नियंत्रण प्रकोप के अधार पर 10-15 किलो कार्बोफ्यूरान प्रति एकड़ का प्रयोग करे.
फसल कटाई से जुड़ी जानकारी
1. परिपक्व अवस्था: जब पौधे के अधिकतर भाग और फलिया लाल भूरी हो कर पक जाये तो कटाई करे.खलिहान की सफाई करे और फसल को धूप म कुछ दिनो तक सुखाये तथा गहाई करे. भण्डारण के लिये दानो मे 12-14 प्रतिशत से अधिक नमी नही होनी चाहिये.
2. भंडारण: चने के भंडारण हेतू भंडार गृह की सफाई करे तथा दिवारो तथा फर्श की दरारो को मिट्टी या सिमेंट से भर दे. चूने की पुताई करे तथा 15 दिन के अंतराल पर 2-3 बार 10 ml मेलाथीयान 50%EC प्रति ली पानी का घोल 3 ली / 100 वर्ग मीटर की दर से दीवार तथा फर्श पर छिड़काव करें.
3. अनाज भंडारण के लिए बोरियो को मेलाथीयान 10 ml / ली पानी के घोल मे डुबाकर सुखाए, इसके बाद ही अनाज को बोरियो मे भरें.
चना:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें