गेहूँ की खेती की तैयारी
अन्य फसल का विवरण जानना चाहते है तो हमे बताएं आने वाले रबी फसलो की बुवाई से पहले करें मृदा जनित रोगों का ट्राइकोडर्मा के द्वारा करें जैव निंयत्रण पशुपालन, मुर्गी पालन आदि मे आजकल ध्यान रखने वाली कुछ बातें
बुवाई तकनीक
जमीन की तैयारी
1. आड़ी तिरछी जुताई कर खेत को समतल करें।
2. पानी की बचत हेतु खेत को 15-20 मीटर की लम्बाई के प्लाट बना कर बुवाई करें।
3. खेत तैयारी मे होने वाले खर्च को कम करने हेतु जेरो टिलेज पद्दती से बुवाई करें।
किस्में/प्रजातियां
1.सिंचित समय से बिवाई हेतु: WH 542, UP 2338, Raj 3077, PBW 343, HD 2687, PBW 502, PBW 443, DBW 17,DBW 39, HUW 510, K 8804 (K 88), HD 2402, HP 1731 (Rajlaxmi), HUW 468, HD 2733, HD 2824 , UP 2628,PBW 550 2.
2.सिंचित देरी से बुवाई हेतु: HD2932, UP 2338, PBW 226, Raj 3765, RAJ 3077, PBW 373, UP 2425, K9162, HUW 234, HP 1633, DBW 14 , राज.3077, UP 2565 3. असिंचित क्षेत्रों के लिए: K8027, K9644, K8962, HRD 77, K9465 4.: KRL 1-4, Raj 3077, PBW 65, KRL 19, K9644, HRD-77, K9465
बीजोपचार
1. फसल को बीज जनित रोगो जैसे- खुला कंडुआ, फ़्लैग कंडुआ से बचाने हेतु बीज को 100 ग्राम टेबुकोनाज़ोल 2DS (रेक्सिल) /100 किलो बीज की दर से उपचरित करें।
2. दीमक के कारण पौधो मे पीलापन के साथ सूखने की समस्या आती है। बचाव हेतु 5ml क्लोरपाइरीफॉस 20EC प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
3. मिट्टी और बीज जनित रोगो से बचाव हेतु बीज को 2gm कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 27.5% (विटावेक्स पावर) प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
बुवाई तथा बुवाई विधि
1.अगेती बुवाई (10 अक्टू.- 5 नवम्बर), 1-2 सिचाई उपलब्ध होने पर व देरी से बुवाई (5-25 नवम्बर), 3 से अधिक सिचाई उपलब्ध होने पर कर सकते है।
2. यदि आप बुवाई हेतू पुराना बीज प्रयोग कर रहे हैं तो इसका अंकुरण प्रतिशत की जांच कर ले। अंकुरण 75 % से अधिक होने पर ही बुवाई हेतु ऐसे बीज का उपयोग करे। बुवाई सूखे मे कर सिंचाई करें।
बीज दर
आमतौर पर बीज दर 40-50kg प्रति एकड़ रखे, देरी से बुवाई की स्तिथि मे बीज दर 50-60 किलो/ एकड़ तक बड़ा ले.
खरपतवार प्रबंधन
1. संकरी पत्ती के खरपतवार की रोकथाम हेतु 160gm क्लोडिनाफॉप (विकेट) /एकड /200ली पानी मे छिडके।
2. संकरी और चौड़ी पत्ती के खरपतवारों के नियंत्रण हेतु 160gm क्लोड़ीनाफ़ोप प्रोपरजायल + मेट्सल्फ़ुरोन मिथाइल/ एकड़/ 150ली पानी 20-25 दिन बाद छिड़के।
3. चौड़ी पत्ती के खरपतवार के नियंत्रण हेतु 8gm मेट्सल्फ्यूरोन मिथाइल 20WP/ एकड़/ 200ली पानी, बुवाई के 30 दिन बाद छिड़के।
शस्य क्रिया
बुवाई के 40-50 दिन बाद निंदाई गुड़ाई कर हल्की सिंचाई करें।
फसल पोषण
देशी खाद व बायो फर्टिलाइजर
1. खेत की तैयारी के समय अच्छी सडी हुई 6-8 टन गोबर की खाद या 1 टन वर्मीकम्पोस्ट प्रति एकड़ प्रयोग करें।
रासायनिक खाद
1. अच्छे विकास और अधिक उपज हेतु बुवाई के समय 40kg यूरिया+ 50kg DAP + 30kg MOP + 10kg ज़िंकसल्फ़ेट/एकड़ प्रयोग करे।
2. बुवाई के 20-25 दिन बाद पर्याप्त नमी मे 40kg यूरिया + 5kg बेंटोनाइट सल्फर प्रति एकड़ प्रयोग करें।
घुलनशील उर्वरको का स्प्रे
1. अच्छी वानस्पतिक वॄधि के लिए 1kg 19:19:19 (NPK) प्रति एकड़ प्रति 150 ली पानी मे बुवाई के 25-30 दिन बाद छिड़के।
2. अच्छी उपज व गुणवत्ता के लिए दाना भरते समय, 1kg पानी मे घुलनशील उर्वरक एनपीके (00:52:34) प्रति एकड़ 200 ली पानी मे मिलाकर छिड़के।
3. फसल के अच्छे विकास के लिये 1kg पोटेशियम नाइट्रेट (13:00:45) प्रति एकड़ प्रति 200लीटर पानी मे बुवाई के 60-70 दिन बाद छिड़कें।
पोषक तत्वो की कमी व उपचार
1. ज़िंक की कमी मे पत्ती के मध्य भूरे धब्बे बन जाते है, पूर्ति हेतु 100gm ज़िंक 12%EDTA/एकड़/200ली पानी, बुवाई के 30 दिन बाद छिड़के।
पौध वृद्धि वर्धक
1. अच्छे विकास व अधिक उपज हेतु 5kg धनजाएम गोल्ड या 5kg ट्राइकोंटानोल (विपुल) + 3kg मोनोज़िंक 33%/ एकड़ आधार खाद के साथ प्रयोग करें।
2. अच्छे विकास व उपज हेतु बुवाई के 40-45 दिन बाद, पर्याप्त नमी मे 5kg रैलीगोल्ड या धनजायम गोल्ड/ एकड़ प्रयोग करे।
3. अच्छे विकास व अधिक उपज हेतु 8kg बायोविटा या 10kg ट्राइकोंटानोल (विपुल) + 5kg मोनोज़िंक 33% /एकड़ बुवाई के 30-35 दिन बाद प्रयोग करे।
सिंचाई
सिंचाई अनुतालिका
अच्छी उपज हेतू, क्रान्तिक अवस्थाओ पर सिंचाई अवश्य दे. ये अवस्थाये है पहली- बुवाई से 20 दिन बाद, दूसरी- 40दिन बाद, तीसरी- 70दिन बाद, चौथी- 90 दिन बाद व पांचवी- 110 दिन बाद.
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